...just a thought.....
मनका उबडखाबड तरङ्ग जस्तै भरङ्गहरु
Tuesday, October 5, 2021
मुक्तक : रमिते
ढलिसक्यो बाबु घर अब त तिमी नै हाम्रो भर अब त रमिते बनेकोछ चौतारी, गिज्याउँछ मात्र कुरिरहेछ पिपल र बर अब त 10-05-2021
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