Wednesday, December 12, 2018

हिन्दी मुक्तक : चाह

गम ए है कि हम कहीं नहीं हैं, फिर भि हम वोहीं हैं
शब्दों तस्विरों विडियों मैं प्यारे रिश्ते समाने कि दम नहीं है
आप नए साल पुराने यादें संजो कर खुश हो रहे होंगे
हम नए पलको सजाने कि चाह मैं यहीं थम रहें हैं ।

हिन्दी मुक्तक : सिख

खुश वोह हैं कि उन्की आज जनाजा निकल रहा है
रोते रोते सारी दुनियाँ उन्के पिछे पग्ला रहा है
मत पूछो आखिर उन्होंने पाया क्या जिन्दगीभर
आँसुओं के समन्दर से निकल्नेकी सिख अभी भि सिखा रह है । 

Friday, December 7, 2018

लघुकथा : कोपिला

लघुकथा : कोपिला
~आविष्कार
 
"नटिप्नु हेर कोपिला नच्यात्नु पाप लाग्दछ... " दोह्राइ-तेह्राइ पढिरहेकी थिई ऊ । कण्ठ पार्ने काम रहेछ विद्यालयको शायद ।
 
म कोठामा छिर्नासाथ फरक्क फर्केर चम्किला आँखाले हेर्दै सोधी, "बाबा कोपिला टिप्दा, च्यात्दा किन पाप लाग्ने ?"

Sunday, December 2, 2018

मुक्तक : नशा

लाजको घुम्टोमा अनुहार लुकाइ
प्रितको गीतमा परेला झुकाइ
आउँछ्यौ मेरी माया हजार मुटु रोक्ने चालमा
मदहोश पलहरुमा नशा मिसाइ ।