Wednesday, December 12, 2018

हिन्दी मुक्तक : चाह

गम ए है कि हम कहीं नहीं हैं, फिर भि हम वोहीं हैं
शब्दों तस्विरों विडियों मैं प्यारे रिश्ते समाने कि दम नहीं है
आप नए साल पुराने यादें संजो कर खुश हो रहे होंगे
हम नए पलको सजाने कि चाह मैं यहीं थम रहें हैं ।

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