Friday, January 25, 2019

हिन्दी गजल : आदमी कि शिकार

​हिन्दी गजल : आद्मी कि शिकार
~आविष्कार

आदमी आदमी कि सिकार क्यों है
बेमत्लब सान कि दरकार क्यों है ।

युँ तो सब बैठें हैं हात फैलाए
मन्दिरों मैं लम्बीलम्बी कतार क्यों है ।

कब्र से चिल्ला चिल्लाकर केहेते हैं वोह
अकेले पड्जाता यहाँ प्यार क्यों है ।

आहट सि धुन्धली कुछ सुनाई दि तो
दिल आज भि कुछ बेकरार क्यों है ।

सम्भल सकते अगर मोहबत मैं
मौत भि बनजाती यार क्यों है ।

No comments: