...just a thought.....
मनका उबडखाबड तरङ्ग जस्तै भरङ्गहरु
Friday, February 15, 2019
मुक्तक : तुस
मुक्तक:
भारी यो मन भिजेको कपास सरी
जारी यो जलन जलेको भूस सरी
पोखिने कसरी हो, भरी कहाँ छु खै
मारी यो किरण राखेको तुस सरी
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment